पाइल्स एक ऐसी समस्या है जिससे अक्सर कई लोगों ने अपने जीवन में अनुभव किया होगा, अगर आप भी इससे जूझ रहे हैं तो घबराइए मत, ये जल्दी ठीक हो जाता है सही इलाज के साथ, चलिए एक नज़र डालते हैं कि पाइल्स होता क्या है और इससे ठीक कैसे किया जा सकता है।

पाइल्स क्या होता है? (What is Piles?)

पाइल्स, जिसे बवासीर भी कहा जाता है, एक ऐसी समस्या है जिसमें गुदा (Anus) के आस-पास की नसें सूज जाती हैं और गांठ या मस्सा बन जाते हैं। ये नसें गुदा के अंदर या बाहर हो सकती हैं। पाइल्स आम है और लगभग 50% लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी इसका अनुभव होता है।

पाइल्स के दो मुख्य प्रकार हैं:

अंदरूनी पाइल्स: ये पेट के अंदर होती हैं और आमतौर पर दर्दनाक नहीं होती हैं। हालांकि, पॉटी के दौरान या बाद में आपको इनके बाहर निकलने का एहसास हो सकता है या टिशू पेपर पर खून के धब्बे दिखाई दे सकते हैं।

बाहरी पाइल्स: ये गुदा के आस-पास की त्वचा के नीचे होती हैं और अक्सर गांठ या सूजन के रूप में महसूस होती हैं। ये कभी-कभी दर्दनाक, खुजलीदार और संवेदनशील हो सकती हैं, खासकर पॉटी के दौरान या बाद में।

पाइल्स के लक्षण(Symptoms of Piles)

पाइल्स दो तरह की होती हैं – एक पीछे के हिस्से के अंदर होती हैं, जिन्हें “अंदरूनी पाइल्स” कहते हैं, और दूसरी पीछे के हिस्से के बाहर, जिन्हें “बाहरी पाइल्स” कहते हैं. इन दोनों के लक्षण थोड़े अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ खास लक्षण हैं जिनसे आपको पता चल सकता है कि आपको पाइल्स हो गई है:

खून आना: शौच के बाद टिशू पेपर पर, पॉट में या मल पर लाल खून दिखना।

खुजली और जलन: पीछे के हिस्से के आस-पास खुजली होना, जलन होना या असहज महसूस होना।

दर्द: शौच के दौरान या बाद में पीछे के हिस्से के पास दर्द होना या परेशानी होना।

गांठ या सूजन: पीछे के हिस्से के पास एक गांठ या सूजन होना, जिससे बैठने में परेशानी हो।

मल टपकना: शौच के बाद मल का थोड़ा बचा रह जाना या साफ़ करने में मुश्किल होना।

कब्ज और पॉट करने में परेशानी: मल कड़ा होना, मल निकालने के लिए ज़ोर लगाना पड़ना।

अगर ये लक्षण नज़र आएं तो डॉक्टर से मिलें। वो जाँच कर सही इलाज बता सकते हैं।

ये लक्षण बढ़ सकते हैं, इसलिए जल्द डॉक्टर से मिलें। जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, उतनी जल्दी राहत मिलेगी।

पाइल्स होने के कारण(Causes of Piles):

कुछ चीज़ें हैं जो पाइल्स होने के खतरे को बढ़ा सकती हैं:

कब्ज और ज़ोर लगाना: बार-बार कब्ज होना और शौच के दौरान ज़ोर लगाना सबसे बड़ा कारण है। इससे रेक्टम की नसों पर दबाव बढ़ता है, जिससे वे सूज जाती हैं और पाइल्स बन जाते हैं।

टॉयलेट पर ज्यादा देर बैठना: लंबे समय तक टॉयलेट सीट पर बैठने से भी नसों पर दबाव पड़ता है और पाइल्स होने का खतरा बढ़ जाता है।

गर्भावस्था और बच्चा होना: गर्भावस्था के दौरान पेट बढ़ने से नसों पर दबाव पड़ता है और बच्चा होते समय ज़ोर लगाने से भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

मोटापा: मोटापे में पेट पर ज़्यादा चर्बी जमा होती है, जिससे रेक्टम पर दबाव बढ़ता है और पाइल्स होने का खतरा बढ़ जाता है।

उम्र बढ़ना: उम्र बढ़ने के साथ शरीर के टिश्यू कमज़ोर होते हैं, जिससे पाइल्स का खतरा बढ़ सकता है।

लगातार खांसी: लगातार खांसी से पेट के अंदरूनी दबाव बढ़ता है, जिससे भी पाइल्स की समस्या हो सकती है।

ऑपरेशन: रेक्टम का ऑपरेशन या बच्चा होते समय किए जाने वाले एपिसियोटॉमी से भी पाइल्स का खतरा बढ़ सकता है।

ज़्यादा वज़न उठाना: ज़्यादा वज़न उठाने से भी रेक्टम की नसों पर दबाव पड़ता है और पाइल्स होने की संभावना बढ़ जाती है।

परिवार का इतिहास: अगर परिवार में किसी को पाइल्स की समस्या है तो आपको भी होने का खतरा ज़्यादा होता है।

ये सभी कारण नहीं हैं और पाइल्स होने के और भी कारण हो सकते हैं। अगर आपको पाइल्स के लक्षण दिखाई दें तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें।

पाइल्स के लिए डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अक्सर, पाइल्स मामूली घरेलू उपायों से ठीक हो जाती है, जैसे बिना डॉक्टर के मिलने वाली क्रीम लगाना, ज़्यादा फाइबर वाला खाना खाना और सिट्ज़ बाथ लेना। लेकिन डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं अगर:

  • दर्द और सूजन ज़्यादा हो
  • पाइल्स के कारण बैठना, टॉयलेट जाना या रोज़मर्रा के काम करना मुश्किल हो
  • पॉटी के दौरान ज़्यादा खून आना
  • खून बहने से चक्कर आना या कमज़ोरी महसूस होना
  • घरेलू उपायों से कोई फर्क न पड़ना
  • बुखार, ज़्यादा दर्द, सूजन, या मवाद जैसे इन्फेक्शन के लक्षण दिखना

डॉक्टर अन्य गंभीर बीमारियों को रिलीफ दिला सकते हैं जिनके लक्षण पाइल्स से मिलते-जुलते हैं, जैसे एनल फ़िशर, फ़िस्टुला या रेक्टल प्रोलैप्स। अगर पाइल्स गंभीर है या बार-बार आती है, तो वे कम इनवेसिव या सर्जिकल उपचार की सलाह दे सकते हैं।

पाइल्स के इलाज (Piles Treatment)

लेज़र ट्रीटमेंट: ये सबसे सुरक्षित इलाज है। लेज़र केवल सूजी हुई नसों को टारगेट करता है और आस-पास के सेहतमंद टिश्यू को नुकसान नहीं पहुंचाता है। प्रक्रिया में 20-30 मिनट लगते हैं और आप उसी दिन अपने काम पर वापस लौट सकते हैं।

दवाइयां: हाइड्रोकार्टिसोन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाएं सूजन और खुजली को कम करने में मदद करती हैं। डॉक्टर ज़्यादा मज़बूत क्रीम या दवाएं भी लिख सकते हैं।

छोटे ऑपरेशन: रबर बैंड लिगेशन सूजी हुई नसों के नीचे रबर बैंड लगाकर ख़ून का बहाव रोक देता है। स्क्लेरोथेरेपी इंजेक्शन टिश्यू को सख्त बनाते हैं. इन्फ्रारेड कोगुलेशन गर्मी का उपयोग करके पाइल्स  को छोटा करता है।

ऑपरेशन: गंभीर पाइल्स के लिए डॉक्टर ऑपरेशन करके सूजे हुए टिश्यू को निकाल सकते हैं। इसमें कई तरीके शामिल हैं।

घरेलू उपचार: ओवर-द-काउंटर क्रीम, विच हेज़ल पैड्स, सिट्ज़ बाथ, आइस पैक और खान-पान में बदलाव हल्के लक्षणों को कम कर सकते हैं। कब्ज से बचना सबसे ज़रूरी है।

कुछ लोगों को दूसरे इलाज जैसे सप्लिमेंट्स, सिट्ज़ बाथ और लोशन से भी राहत मिल सकती है। डॉक्टर से सभी इलाजों के बारे में पूरी जानकारी लें और सबसे अच्छा तरीका चुनें।

अगर आपको पाइल्स का इलाज  (Piles Treatment) करवाना है तो एक अच्छे अस्पताल में जाना बहुत ज़रूरी है। रोहतक शहर में लाइफ केयर अस्पताल  पाइल्स के इलाज के लिए बेहतरीन विकल्प है। इस अस्पताल में  पाइल्स के इलाज के लिए लेज़र उपचार जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। लाइफ केयर अस्पताल में  पाइल्स के इलाज की कीमत अन्य अस्पतालों की तुलना में काफी कम है। इस अस्पताल का मुख्य उद्देश्य मरीजों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का इलाज देना है। बवासीर से पाइल्स लोग यहाँ आकर अपना इलाज करा सकते हैं।

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