गुदा में एक असामान्य रास्ते को फिस्टुला कहते हैं। यह तब बनता है जब गुदा के पास किसी फोड़े या संक्रमण से मवाद निकलने का रास्ता शरीर के बाहर की त्वचा तक बन जाता है।

आमतौर पर फिस्टुला में से मवाद या पस निकलता रहता है जिससे गुदा के आसपास लगातार जलन, खुजली और दर्द होता रहता है। इसके अलावा, फिस्टुला के कारण जख्म भी हो सकता है जिसे ठीक होने में परेशानी होती है।

अगर आपको गुदा में दर्द, सूजन, या मवाद निकलने का अनुभव हो रहा है तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।  फिस्टुला का इलाज लेजर या ऑपरेशन से किया जा सकता है। जितनी जल्दी इलाज शुरू किया जाएगा, फिस्टुला को ठीक होने में उतनी ही कम परेशानी होगी।

एनल फिस्टुला के लक्षण

गुदा (निचला भाग) के आसपास दर्द और सूजन: मलद्वार (गुदा का छेद) के आसपास दर्द, चुभन या जलन महसूस होना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। इस दौरान सूजन या गांठ भी हो सकती है।

शौच के दौरान या बाद में मलद्वार से खून आना: एनल फिस्टुला के कारण मल त्यागते समय खून आ सकता है, खून का रंग चमकदार लाल या गहरा लाल हो सकता है। यहां तक कि मल त्याग न करने पर भी खून आ सकता है।

गुदा के पास से बदबूदार तरल पदार्थ का रिसाव: फिस्टुला त्वचा के नीचे एक छोटी सुरंग बना लेता है, जिसके कारण मवाद या बदबूदार तरल पदार्थ गुदा के पास किसी छेद या गांठ से निकल सकता है।

गुदा के आसपास खुजली और जलन: रिसाव और फिस्टुला के कारण गुदा के आसपास की त्वचा लाल, जख्मी, खुजलीदार और जलन वाली हो सकती है।

बार-बार होने वाले मलद्वार फोड़े (एनल एब्ससेस): एनल फिस्टुला अक्सर ठीक से ठीक नहीं होने वाले मलद्वार फोड़ों से शुरू होते हैं। बार-बार होने वाले फोड़े इस बात का संकेत हो सकते हैं कि आपको फिस्टुला है।

बुखार, कंपकंपी, थकावट महसूस होना: अगर एनल फिस्टुला में संक्रमण हो जाता है, तो यह बुखार, कंपकंपी, शरीर में दर्द और संक्रमण से लड़ने के कारण बहुत थकावट का कारण बन सकता है।

एनल फिस्टुला के कारण

संक्रमण: गुदा में बनने वाले फोड़े या संक्रमित गांठें इसका सबसे आम कारण हैं। अगर इनका पूरा इलाज ना किया जाए या सही तरीके से ना किया जाए तो फिस्टुला बन सकती है।

क्रोहन रोग (Crohn’s Disease): यह आँतो की पुरानी सूजन वाली बीमारी है जो फिस्टुला का कारण बन सकती है। सूजन शरीर के अंदर सुरंग बना देती है जो मलाशय या गुदा को गुदा के आसपास की त्वचा से जोड़ देती है।

यौन सम्बन्धित रोग (STDs): कुछ यौन सम्बन्धित रोग जैसे लिम्फोग्रैनुलोमा वेनरेम (lymphogranuloma venereum) या ग्रैनुलोमा इंग्विनाले (granuloma inguinale) कभी-कभी गुदा में फिस्टुला बनने का कारण बन सकते हैं।

टीबी (Tuberculosis): कुछ बहुत कम मामलों में, टीबी का संक्रमण गुदा क्षेत्र तक फैल सकता है और फिस्टुला पैदा कर सकता है।

कैंसर: कई तरह के कैंसर, खासकर पेट के और गुदा के कैंसर, बीमारी के कारण या इलाज के साइड इफेक्ट रूप में फिस्टुला का कारण बन सकते हैं।

डायवर्टीकुलिटिस (Diverticulitis): यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बड़ी आंत की दीवार में छोटी थैलियां बन जाती हैं। कभी-कभी इन थैलियों के कारण बड़ी आंत और गुदा के आसपास की त्वचा के बीच फिस्टुला बन सकती है।

चोट/दुर्घटना: दुर्घटना, सर्जरी में हुई परेशानी, या रेडिएशन इलाज के कारण गुदा क्षेत्र में चोट लगने से भी फिस्टुला बन सकता है।

फिस्टुला का लेजर इलाज

गुदा में बनने वाली फिस्टुला का इलाज लेजर से किया जा सकता है। ये फिस्टुला संक्रमण और गुदा के आसपास दर्द पैदा कर सकती है। फिस्टुला की सर्जरी बहुत नाजुक होती है क्योंकि जरा सी गलती से मल त्यागने वाली मांसपेशियां खराब हो सकती हैं। इसीलिए, इस तरह की सर्जरी के लिए बहुत सावधानी और कोमलता की जरूरत होती है। सिर्फ बहुत अनुभवी डॉक्टर ही फिस्टुला का इलाज करें क्योंकि गलत तरीके से इलाज करने से मल त्याग करने में परेशानी हो सकती है।

लेजर का उपयोग फिस्टुला का इलाज करने के लिए एक कम चीर-फाड़ वाला तरीका है। लेजर की रोशनी को सिर्फ फिस्टुला वाली जगह पर लगाया जाता है, ताकि आसपास की किसी भी मांसपेशी या ऊतक को कोई नुकसान न पहुंचे।  एक एंडोस्कोप ( कैमरे वाली एक पतली नली) की मदद से फिस्टुला के छेद का पता लगाया जाता है। फिर लेजर की मदद से इस असामान्य फिस्टुला को जलाकर खत्म कर दिया जाता है।

फिस्टुला सर्जरी के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?

फिस्टुला का ऑपरेशन कराने के बाद ठीक होने का समय इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह का ऑपरेशन किया गया था।

पारंपरिक सर्जरी (Open Surgery): इस ऑपरेशन में मरीज को ठीक होने के लिए अस्पताल में ज्यादा दिन रुकना पड़ सकता है।

लेजर सर्जरी (Laser Surgery): लेजर से फिस्टुला का ऑपरेशन बहुत कम जख्म वाला होता है और इस वजह से रिकवरी भी जल्दी हो जाती है। ज्यादातर मरीज लेजर सर्जरी के 2-3 दिन बाद ही अपनी रोज़मर्रा की गतिविधियां दोबारा शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, कुछ लोगों को पूरी तरह से ठीक होने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है। लेजर सर्जरी के बाद जख्म को पूरी तरह भरने और मरीज को पूरी तरह स्वस्थ होने में लगभग 2-3 सप्ताह लग सकते हैं। इस दौरान, अच्छा इलाज और डॉक्टर की बताई गई सावधानियों का पालन करना बहुत जरूरी होता है ताकि जख्म सही तरीके से भर सके और कोई परेशानी ना हो।

अगर आपको फिस्टुला का इलाज  (Fistula  Laser Treatment) करवाना है तो एक अच्छे अस्पताल में जाना बहुत ज़रूरी है। रोहतक शहर में लाइफ केयर अस्पताल फिस्टुला के इलाज के लिए बेहतरीन विकल्प है। इस अस्पताल में  फिस्टुला के इलाज के लिए लेज़र उपचार जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

लाइफ केयर अस्पताल में  फिस्टुला के इलाज की कीमत अन्य अस्पतालों की तुलना में काफी कम है। इस अस्पताल का मुख्य उद्देश्य मरीजों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का इलाज देना है। 

Leave a comment