एनल फिशर गुदा या गुदामार्ग पर एक फटी हुई रेखा होती है। यह तब हो सकता है जब जब आप बहुत कठोर मल त्याग करते हैं।  एनल फिशर को 4 से 8 सप्ताह में उपचार से ठीक किया जा सकता है, लेकिन लगभग 10 सप्ताह से अधिक समय से चली आ रही एक जटिल फिशर के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। 

फिशर बहुत ददर्नाक होते हैं और उनसे थोड़ा खून भी निकलता है। एनल फिशर ज्यादातर शिशुओं में देखने को मिलते हैं लेकिन किसी भी उम्र के लोगों को हो सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ आनल फिशर की संभावना कम हो जाती है।

एनल फिशर के दो मुख्य प्रकार हैं:

प्राइमरी फिशर: ये गंभीर नहीं होती हैं और जल्दी ठीक हो जाती हैं। इनके कारणों में कठोर मल, दस्त, बार-बार चोट लगना या एनल इन्टर्कॉर्स शामिल हैं।

सेकेंडरी फिशर: ये उन रोगियों में होती हैं जिनका पहले गुदा का ऑपरेशन हुआ है, उन्हें सूजन संबंधी आंत्र रोग (inflammatory bowel disease), संक्रमण या यहां तक ​​कि कैंसर भी हो सकता है।

एनल फिशर के लक्षण

फिशर का सबसे आम लक्षण मल त्याग करते समय तेज दर्द होना है, इसके बाद जलन होती है जो कई घंटों तक रह सकती है। अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • मल या टॉयलेट पेपर पर चमकदार लाल रंग का खून
  • गुदा के आसपास की त्वचा में दिखने वाला फटा हुआ घाव
  • घाव के पास छोटी सी त्वचा की गांठ
  • गुदा क्षेत्र में जलन या खुजली
  • मल त्याग पर नियंत्रण न रख पाना 

फिशर के कारण

फिशर का सबसे आम कारण गुदा की स्फिंक्टर मांसपेशियों में चोट लगना है, जो मल त्याग को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां होती हैं। यह चोट निम्न कारणों से हो सकती है:

  • कब्ज के कारण मल त्याग करते समय जोर लगाना
  • सख्त मल निकालना
  • एनल इन्टर्कॉर्स
  • दस्त
  • सूजन संबंधी पेट की बीमारी (IBD)
  • कुछ कम आम मामलों में, फिशर संक्रमण, ट्यूमर या ऐसी चिकित्सीय स्थितियों के कारण हो सकते हैं जो गुदा की स्फिंक्टर मांसपेशियों को कमजोर कर देती हैं।

फिशर का इलाज

फिशर की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तो एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर इसे पूरी तरह से ठीक करने में आपकी मदद कर सकता है। 

लेजर सर्जरी (Laser Surgeries): इसमें डॉक्टर कार्बन डाइऑक्साइड किरणें निकालने वाले लेजर का इस्तेमाल करते हैं। इन किरणों को दरार वाली जगह पर बहुत सावधानी से लगाया जाता है। इससे उस जगह पर खून का दौरा बढ़ता है और घाव जल्दी भरता है। लेजर सर्जरी के दौरान डॉक्टर बहुत बारीकी से जांच करने के लिए खास चश्मा लगाते हैं। 

स्लेटरल स्फिंक्टेरोटॉमी (Lateral Sphincterotomy) : इस ऑपरेशन में, मल त्यागने की मांसपेशी (स्फिंक्टर) के दबाव को कम करने के लिए उसकी थोड़ी सी चीर लगाई जाती है। इससे खून का दौरा बेहतर होता है और पुरानी दरारें जल्दी ठीक हो जाती हैं। इसे आंतरिक स्फिंक्टेरोटॉमी कहते हैं। इस मांसपेशी के केवल एक चौथाई हिस्से पर दो तरह से चीर लगाई जाती है:

ओपन स्फिंक्टेरोटॉमी (Open Sphincterotomy) : डॉक्टर त्वचा पर एक छोटा सा चीरा लगाकर नीचे की स्फिंक्टर मांसपेशी तक पहुंचते हैं। फिर उस मांसपेशी में भी चीर लगाकर उसे खोल दिया जाता है ताकि वह ठीक हो सके।

क्लोज्ड स्फिंक्टेरोटॉमी (Closed Sphincterotomy) : इस ऑपरेशन में, त्वचा के नीचे की स्फिंक्टर मांसपेशी तक पहुंचने के लिए एक ब्लेड डाली जाती है और फिर उसे काटा जाता है। इस चीर को बाद में स्थिति के अनुसार बंद किया जा सकता है या खुला ही रहने दिया जा सकता है।

एनल एडवांसमेंट फ्लैप्स (Anal Advancement Flaps) : इस लेजर इलाज में, खराब हो चुकी स्फिंक्टर मांसपेशी के हिस्से को हटा दिया जाता है। उसी जगह सेहतमंद टिश्यू का एक टुकड़ा लेकर घाव को ढककर टांके लगा दिए जाते हैं। डैमेज त्वचा को शरीर के दूसरे हिस्से से लिए गए स्वस्थ टिश्यू से बदला जाता है।

फिशरएक्टॉमी (Fissurectomy): इसमें गुदा की दरार के आसपास की त्वचा को ऑपरेशन द्वारा निकाल दिया जाता है। अगर वहां कोई गांठ मौजूद हो, तो उसे भी हटा दिया जाता है 

ये प्रक्रियाएं गुदा के मसल पर दबाव को कम करने, खून का बहाव बेहतर बनाने, फटे हुए इलाके को निकालने और लेजर की मदद से या ऑपरेशन से ठीक होने में मदद करती हैं।

ऑपरेशन के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?

ऑपरेशन के बाद ठीक होने का समय अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है, लेकिन पूरी तरह से ठीक होने में आमतौर पर कई हफ्ते लगते हैं। लेजर सर्जरी या अन्य सर्जिकल प्रक्रिया के बाद शुरू के कुछ दिनों में आपको हल्का दर्द हो सकता है। हालांकि, यह अल्पकालिक असुविधा फिशर की स्थिति से मिलने वाली राहत से कहीं अधिक फायदेमंद है।

आमतौर पर, ऑपरेशन वाले क्षेत्र के पूरी तरह से ठीक हो जाने में 6 से 10 हफ्ते लगते हैं। इस समय के दौरान आपको आराम करना होगा और ज़ोरदार गतिविधियों से बचना होगा। अगर आपको जल्दी काम पर वापस जाना है, तो आप रोहतक शहर में लाइफ केयर अस्पताल के अनुभवी सर्जनों से अपनी स्थिति के बारे में बात कर सकते हैं। 

वे आपको कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दे सकते हैं, लेकिन कई मरीज़ फिशर सर्जरी के सिर्फ 1 हफ्ते के अंदर ही अपने काम पर लौट सकते हैं, जबकि पूरी तरह से ठीक होने का सिलसिला जारी रहता है। सर्जन आपके व्यक्तिगत मामले और सर्जरी के आधार पर आपको उचित मार्गदर्शन प्रदान करेंगे ताकि आप ठीक से ठीक हो सकें।

अगर आपको फिशर का इलाज  (Fissure  Laser Treatment) करवाना है तो एक अच्छे अस्पताल में जाना बहुत ज़रूरी है। रोहतक शहर में लाइफ केयर अस्पताल  पाइल्स के इलाज के लिए बेहतरीन विकल्प है। इस अस्पताल में  फिशर के इलाज के लिए लेज़र उपचार जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

लाइफ केयर अस्पताल में  पाइल्स के इलाज की कीमत अन्य अस्पतालों की तुलना में काफी कम है। इस अस्पताल का मुख्य उद्देश्य मरीजों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का इलाज देना है।

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